बुद्धि की परिभाषा तथा बुद्धि के सिद्धांत| Budhi Ki Paribhasha

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बुद्धि की परिभाषा [budhi ki paribhasha] को विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने अलग-अलग तरह से प्रस्तुत किया है  कुछ मनोवैज्ञानिक बुद्धि को ‘सीखने की योग्यता’ मानते हैं तथा कुछ मनोवैज्ञानिक बुद्धि को ‘समायोजन की योग्यता’ मानते हैं।

ऐसे भी मनोवैज्ञानिक है जो बुद्धि को ‘अमूर्त चिंतन की योग्यता’ मानते हैं। कुछ विद्वानों के द्वारा बुद्धि को ‘समस्या समाधान की योग्यता’ भी माना जाता है।

आज के इस लेख में हम बुद्धि की विभिन्न परिभाषाओं तथा सिद्धांतों के बारे में जानेंगे।

विभिन्न विद्वानों के अनुसार बुद्धि की परिभाषाएं-

(अ) सीखने की योग्यता-

बुद्धि को सीखने की योग्यता मानने वाले विद्वानों के विचार निम्नलिखित हैं-

1. बकिंघम के अनुसार बुद्धि की परिभाषा-

“बुद्धि सीखने की योग्यता है।”

2. डियरबोर्न के अनुसार बुद्धि की परिभाषा-

“बुद्धि सीखने अथवा अनुभव से लाभ उठाने की योग्यता है।”

उपर्युक्त मनोवैज्ञानिक बुद्धि को सीखने की योग्यता मानते हैं। बुद्धि के आधार पर ही व्यक्ति सीखता है। जो जितना अधिक बुद्धिमान होता है वह उतनी ही शीघ्रता से सीखता है। मंदबुद्धि बालकों को सीखने में अपेक्षाकृत देर लगती है। जो व्यक्ति अपने अतीत के अनुभवों के आधार पर भविष्य में अपने नीति निर्धारित करने की योग्यता रखता है वह बुद्धिमान समझा जाता है। मंदबुद्धि बालक अपने अनुभव से लाभ नहीं उठा पाते।

(ब) बुद्धि और समायोजन-

कुछ विद्वानों का विश्वास है कि व्यक्ति बुद्धि के द्वारा नवीन समस्याओं से समायोजन करता है। ऐसा मत रखने वाले विद्वानों के विचार इस प्रकार हैं-

1. स्टर्न के अनुसार बुद्धि की परिभाषा-

“बुद्धि जीवन की नवीन समस्याओं के समायोजन की सामान्य योग्यता है।”

2. क्रूज के अनुसार बुद्धि की परिभाषा-

“बुद्धि नवीन तथा विभिन्न परिस्थितियों में भली प्रकार से समायोजन करने की योग्यता है।”

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विद्वान यह मानते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए वातावरण से समायोजन करना आवश्यक होता है। बुद्धिमान व्यक्ति वातावरण से समायोजन करने में सफल होते हैं। उपरोक्त विद्वानों के अनुसार, बुद्धि के आधार पर ही व्यक्ति वातावरण से समायोजन करने में सफल होता है। इन विद्वानों ने बुद्धि को समायोजन के लिए आवश्यक माना है; जो व्यक्ति जितना अधिक और शीघ्र अपने आपको वातावरण से समायोजित कर लेता है, बुद्धिमान कहलाता है।

(स) अमूर्त चिंतन की योग्यता

कुछ विद्वान बुद्धि को अमूर्त चिंतन की योग्यता मानते हैं उनके द्वारा दी गई परिभाषाएं निम्नलिखित हैं-

1. स्पीयरमैन के अनुसार

“बुद्धि तर्कयुक्त चिंतन है।”

2. टर्मन के अनुसार बुद्धि की परिभाषा

“अमूर्त विचारों के संबंध में सोचने की योग्यता ही बुद्धि है।”

उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि अमूर्त चिंतन के लिए बुद्धि आवश्यक है, मंदबुद्धि बालक अमूर्त चिंतन नहीं कर सकता।

(द) समस्या समाधान की योग्यता

कुछ विद्वान यह भी मानते हैं कि बुद्धि के द्वारा व्यक्ति अपनी समस्याओं का समाधान करता है ऐसे विद्वानों के विचार निम्नलिखित हैं-

1. रेक्सनाइट के अनुसार बुद्धि की परिभाषा-

“बुद्धि वह योग्यता है जो उद्देश्य की पूर्ति तथा समस्या के हल के लिए हमारे मस्तिष्क में विचारों को जागृत करती है।”

2. बर्ट के अनुसार बुद्धि की परिभाषा-

“बुद्धि में अच्छी तरह निर्णय करने समझने तथा तर्क करने की योग्यता है।”

कुछ परिभाषाएं बुद्धि की व्यापक रूप से व्याख्या करती हैं। ये परिभाषाएं इस प्रकार हैं-

1. मैक्डूगल के अनुसार बुद्धि की परिभाषा-

“बुद्धि जन्मजात प्रवृत्ति की अतीत के अनुभव पर सुधारने की योग्यता है।”

2. थार्नडाइक के अनुसार बुद्धि की परिभाषा-

“सत्य अथवा तथ्य के दृष्टिकोण से उत्तम प्रक्रियाओं की योग्यता ही बुद्धि है।”

बुद्धि के सिद्धांत-

मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि के निम्नलिखित सिद्धांत स्वीकार किए हैं-

1. एक कारक या एक तत्व का सिद्धांत- बिने

2. द्वि- तत्व या द्विकारक सिद्धांत- स्पीयरमैन

3. त्रिखण्ड या त्रि- तत्व सिद्धांत- स्पीयर मैन

4. बहुतत्व सिद्धांत – थार्नडाइक

5. समूह तत्व सिद्धांत- थस्टर्न

6. त्रिआयामी सिद्धांत- गिलफोर्ड

7. प्रतिदर्श का सिद्धांत- थॉमसन

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