अधिगम का अर्थ एवं परिभाषा, विशेषताएं, विधियां, नियम व सिद्धांत, प्रभावित करने वाले कारक

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इंसान के लिए सबसे महत्वपूर्ण सीखना या अधिगम है। हर व्यक्ति जन्म से लेकर मृत्यु तक कुछ न कुछ सीखता ही रहता है। जैसे कोई शिशु शैशवावस्था में एकदम असहाय होता है। फिर वह धीरे-धीरे वातावरण से समायोजन करना शुरू करता है। मनोवैज्ञानिक इसे ही सीखना (अधिगम) कहते हैं।

अधिगम का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Learning)

प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन ने हर दिन कुछ अनुभव एकत्र कर व्यवहार में वृद्धि तथा संशोधन करता है। ये अनुभव और इनका उपयोग ही सीखना या अधिगम कहलाता है।

दूसरों शब्दों में कहें तो सीखना वह मानसिक प्रक्रिया है जिसमे बालक परिपक्वता की ओर बढ़ता हुआ अपने अनुभवों से लाभ उठाकर अपने व्यवहार में बदलाव करता है।

अधिगम की परिभाषा (Definition of Learning)

1- वुडवर्थ के शब्दों में अधिगम की परिभाषा

सीखना विकास की प्रक्रिया है। (Learning is a process of development)

2- स्किनर के अनुसार सीखने की परिभाषा

सीखना व्यवहार में उत्तरोत्तर सामंजस्य की प्रक्रिया है। (Learning is a process of progressive behaviour adaption.)

3- गेट्स व अन्य के शब्दों में अधिगम की परिभाषा

सीखना, अनुभव और प्रशिक्षण द्वारा व्यवहार में परिवर्तन है। (Learning is the modification behaviour through the experience and training.)

4- क्रो व क्रो के शब्दों में अधिगम की परिभाषा

सीखना या अधिगम आदतों, ज्ञान और अभिवृत्तियों का अर्जन है। (Learning is the acquisition of habits, knowledge and attitudes.)

ऊपर की सभी परिभाषाओं को देखते हुए अधिगम (सीखने) को निम्न रूप में परिभाषित किया जा सकता है।-

” व्यवहार में किसी प्रकार के बदलाव को, जो अनुभव का परिणाम है और जो व्यक्ति को आने वाली परिस्थिति का अलग तरीके से मुकाबला करने के लिए तैयार करे, अधिगम (सीखना) कहलाता है।”

अधिगम की विशेषताएं

योकम एंड सिम्पसन ने अधिगम की विशेषताएँ इस प्रकार बताया है।-

  1. अधिगम परिवर्तन है।
  2. यह सम्पूर्ण जीवन चलता है।
  3. अधिगम सार्वभौमिक है।
  4. अधिगम विकास है।
  5. अधिगम अनुकूलन है।
  6. सीखना अनुभवों का संगठन है।
  7. सीखना उद्देश्यपूर्ण है।
  8. अधिगम विवेकपूर्ण है।
  9. अधिगम खोज करना है।
  10. अधिगम नवीन कार्य करना है।

अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक

अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक इस प्रकार हैं-

  1. शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य
  2. परिपक्वता
  3. सीखने की इच्छा
  4. प्रेरणा
  5. विषय सामग्री का स्वरूप
  6. सीखने का उचित वातावरण
  7. शारीरिक व मानसिक थकान
  8. सीखने की विधि
  9. अध्यापक तथा सीखने की प्रक्रिया
  10. बुद्धि
  11. अभ्यास

सीखने (अधिगम) की विधियां

सीखने की प्रमुख प्रभावशाली विधियाँ इस प्रकार हैं।-

सीखने-अधिगम की विधियां

  1. करके सीखना (Learning by Doing)
  2. अनुकरण द्वारा सीखना
  3. निरीक्षण करके सीखना (Learning by Observation)
  4. परीक्षण करके सीखना (Learning by Experimenting)
  5. सामूहिक विधियाँ द्वारा सीखना (Learning by Group Methods)
  6. समूह अधिगम

सामूहिक विधियाँ इस प्रकार हैं-

  • वाद विवाद विधि
  • सम्मेलन एवं विचारगोष्ठी विधियाँ
  • कार्यशाला विधि
  • प्रोजेक्ट, डाल्टन व बेसिक विधियाँ

अधिगम या सीखने के नियम

ई• एल• थार्नडाइक ने सीखने के तीन मुख्य और पांच गौण नियम बताए हैं, जो कि इस प्रकार हैं:

थार्नडाइक के अधिगम के मुख्य नियम

  1. ततपरता का नियम
  2. अभ्यास का नियम
    1. उपयोग का नियम
    2. अनुपयोग का नियम
  3. प्रभाव, परिणाम या संतोष का नियम

अधिगम के गौण नियम

अधिगम या सीखने के गौण नियम इस प्रकार हैं:

  1. बहुप्रतिक्रिया का नियम
  2. अभिवृत्ति या मनोवृत्ति का नियम
  3. आत्मीकरण का नियम
  4. आंशिक क्रिया का नियम
  5. सम्बन्धित परिवर्तन का नियम

अधिगम के सिद्धांत या सीखने के सिद्धांत व उनके प्रतिपादक(Theory of Leaning in Hindi)

हिलगार्ड ने अपनी पुस्तक “Theories of Learning” में अनेक सिद्धान्त का वर्णन किया है। जिनमें से 5 मुख्य सिद्धांत और उनके प्रतिपादक इस प्रकार हैं-

अधिगम के सिद्धांत

1- थार्नडाइक का सीखने का सिद्धांत

ई. एल. थार्नडाइक ने अपनी पुस्तक ‘शिक्षा मनोविज्ञान’ में सीखने का एक सिद्धांत प्रतिपादित किया। जिसके अन्य नाम इस प्रकार हैं-

  1. थार्नडाइक का सम्बन्धवाद
  2. सम्बन्धवाद का सिद्धांत
  3. उद्दीपक सिद्धांत
  4. सीखने का सम्बंध सिद्धांत
  5. प्रयत्न एवं भूल का सिद्धांत

प्रयोग पशु- बिल्ली

2-सम्बद्ध-प्रतिक्रिया सिद्धांत

प्रतिपादक- आई. पी. पावलव

प्रायोगिक पशु- कुत्ता

पावलव के सिद्धान्त के अन्य नाम- C-R Theory, क्लासिकल थ्योरी, शास्त्रीय अनुबंधन का सिद्धांत

3- प्रबलन सिद्धान्त

प्रतिपादक- सी. एल. हल

प्रायोगिक पशु- बन्दर

4- क्रिया- प्रसूत का सिद्धांत

प्रतिपादक- बी.एफ. स्किनर

प्रायोगिक पशु- चूहा

5- सूझ का सिद्धांत

प्रतिपादक- कोहलर, वर्दीमर, कोफ़्का (गेस्टाल्टवादी)

प्रायोगिक पशु- वनमानुष

इसके अलावा कुछ अन्य प्रसिद्ध सिद्धान्त आप नीचे दी हुई लिंक में जाकर पढ़ सकते हैं-

▪︎जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत
▪︎व्यक्तित्व का अर्थ ,परिभाषा तथा सिद्धांत
▪︎अभिप्रेरणा के सिद्धांत, विधियां
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