ऊष्मा तथा ताप की परिभाषा| ऊष्मा संचरण की विधियां

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नमस्कार दोस्तों Exam Notes Find में आपका हार्दिक स्वागत है आज की इस पोस्ट में हम विज्ञान विषय के अंतर्गत ऊष्मा तथा ताप के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगे। अगर आप किसी भी exam की तैयारी कर रहे हैं तो यह पोस्ट आपके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होगी। चलिए शुरू करते हैं-

ऊष्मा तथा ताप की परिभाषा| ऊष्मा संचरण की विधियां (Transmission of heat)

ऊष्मा तथा ताप
ऊष्मा और ताप में अंतर|Difference between heat and temperature:

ऊष्मा (Heat)- ऊष्मा एक प्रकार की ऊर्जा है ऊष्मा का संचरण तापांतर के फलस्वरूप एक वस्तु से दूसरी वस्तु में होता है। ऊष्मा का मात्रक जूल है।

उदाहरण- माना दो वस्तुएं A और B हैं। इन वस्तुओं का तापमान अलग-अलग है अगर इन वस्तुओं को साथ में मिलाया जाता है तो ऊष्मा का प्रवाह अधिक तापमान वाली वस्तु से कम तापमान वाली वस्तु की ओर होने लगेगा।

हमने सीखा कि ऊष्मा का प्रवाह अधिक तापमान वाली वस्तु से कम तापमान वाली वस्तु की ओर होता है, लेकिन सवाल यह है कि आखिर, कब तक ऊष्मा का प्रवाह अधिक तापमान वाली वस्तु से कम तापमान वाली वस्तु की ओर होता रहेगा? हम आपको बता दें कि ऊष्मा का प्रवाह तब तक एक वस्तु से दूसरी वस्तु के बीच होता रहेगा, जब तक ऊष्मा का मान दोनों वस्तुओं के बीच बराबर नहीं हो जाता।

ताप (Temperature)- ऊष्मा रूपी ऊर्जा को जिस इकाई के द्वारा मापते हैं उस इकाई को ताप कहते हैं। ताप में स्वयं की कोई ऊर्जा नहीं होती। ताप का एस आई मात्रक केल्विन है।

कुछ स्मरणीय तथ्य-

1. ताप बढ़ाने पर ठोस पदार्थ का द्रव में बदल बदल जाना गलन कहलाता है और वह ताप जिस पर कोई ठोस, द्रव अवस्था में परिवर्तित हुआ है गलनांक बिंदु कहलाता है।

2. द्रव का एक निश्चित तापमान में गर्म करने के पश्चात गैस में परिवर्तित होना वाष्पन कहलाता है। वह बिंदु जिस पर कोई द्रव गैस में परिवर्तित हुआ है क्वथनांक बिंदु कहलाता है।

3. जब कोई द्रव एक निश्चित तापमान में गर्म करने के पश्चात् ठोस में परिवर्तित हो जाता है इस क्रिया को हिमीकरण कहते हैं और वह ताप जिस पर कोई द्रव ठोस अवस्था में परिवर्तित हुआ है, हिमांक कहलाता है।

4. वाष्प का एक निश्चित तापमान पर द्रव में परिवर्तित होना संघनन कहलाता है।

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ऊष्मा संचरण की विधियां (Transmission of heat in hindi)

ऊष्मा का संचरण निम्नलिखित तीन विधियों के द्वारा होता है-

(A) चालन (Conduction)
(B) संवहन (Convection)
(C) विकिरण (Radiation)

चालन किसे कहते हैं?

ऊष्मा का चालन हमेशा ठोसो में होता है। जब किसी ठोस पदार्थ के सिरे को गर्म करते हैं तो उस सिरे की अणु संतृप्त होकर बगल वाले अणुओं को ऊष्मा स्थानांतरित करते हैं। इसी प्रकार ऊष्मा एक अणु से दूसरे अणु में त्वरित गति से स्थानांतरित होती रहती है। इस प्रक्रिया में कोई भी अणु अपना स्थान नहीं छोड़ता है। ऊष्मा संचरण की इस विधि को चालन कहते हैं। ऊष्मा तथा ताप

चालन प्रक्रिया के लिए मुख्यतः तीन प्रकार के पदार्थ उत्तरदाई होते हैं-

1. चालक पदार्थ- चालक पदार्थ वे पदार्थ होते हैं जिनमें ऊष्मा का संचरण बहुत ही आसानी से हो जाता है।
उदाहरण- लोहा, जल, गीली लकड़ी, चांदी, सोना, मानव शरीर इत्यादि।
2. कुचालक पदार्थ- कुचालक पदार्थ वे पदार्थ होते हैं जिनमें ऊष्मा का संचरण आसानी से नहीं होता है।
उदाहरण- सूखी लकड़ी, रबर, प्लास्टिक, हवा, कांच, ऊन इत्यादि।
3. ऊष्मारोधी पदार्थ- ऊष्मारोधी पदार्थ वे पदार्थ होते हैं जिनमें ऊष्मा का संचरण होता ही नहीं है।
उदाहरण- एस्बेस्टस।

प्रश्न- जब हम स्टील के कप में चाय पीते हैं तो उससे हमारा होंठ जल जाता है जबकि हम चीनी मिट्टी के कप में जब चाय पीते हैं तो हमारा होंठ नहीं जलता है क्यों?
उत्तर- स्टील का कप ऊष्मा का अच्छा चालक होता है और चीनी मिट्टी ऊष्मा का कुचालक होता है। जैसे ही हम स्टील के कप में चाय पीने का प्रयास करते हैं तो ऊष्मा का संचरण स्टील के कप (अधिक ताप) से होठों ( कम ताप) की ओर होने लगता है और हमारे होंठ जल जाते हैं।

जब हम चीनी मिट्टी के कप की बात करते हैं, तो चीनी मिट्टी ऊष्मा का कुचालक है इसलिए यह चाय भरने पर ज्यादा गर्म नहीं हो पाता जिसके फलस्वरूप हमारे होंठ नहीं जलते हैं।

संवहन किसे कहते हैं?

संवहन विधि से ऊष्मा का संचरण द्रव तथा गैसों में होता है। जब किसी द्रव या गैस में ऊष्मा प्रवाहित करते हैं तो उस द्रव या गैस का अणु गर्म होकर हल्का हो जाता है। हल्का होने के कारण वह अणु ऊपर उठने लगता है, अर्थात वह अपनी जगह छोड़ देता है और उसके स्थान पर नया अणु आ जाता है यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है, ऊष्मा संचरण की इस विधि को संवहन कहते हैं।

1. हमारा वायुमंडल संवहन विधि के द्वारा गर्म होता है।
2. समुद्री हवाओं तथा स्थलीय हवाओं का चलना भी संवहन विधि पर आधारित है।

विकिरण किसे कहते हैं?

ऊष्मा संचरण की इस विधि के लिए किसी भी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है। सूर्य का प्रकाश विकिरण के द्वारा ही पृथ्वी पर पहुंचता है। इस विधि में ऊष्मा चुंबकीय तरंगों के रूप में प्रवाहित होती है, इन चुंबकीय तरंगों से आशय है – रेडियो तरंगे, सूक्ष्म तरंगे तथा प्रकाश।

उदाहरण- रेगिस्तान दिन के समय अत्यधिक गर्म तथा रात के समय अत्यधिक ठंडा हो जाता है। इसका कारण यह है कि दिन के समय रेगिस्तान, ऊष्मा को अच्छी तरह से अवशोषित करता है और ऊष्मा को अवशोषित करने की वजह से यहां के आसपास का क्षेत्र अत्यधिक गर्म हो जाता है, लेकिन जब रात होती है तब रेगिस्तान तेजी से ऊष्मा का उत्सर्जन करने लगता है। रेगिस्तान में ऊष्मा के अवशोषण तथा उत्सर्जन की ये घटनाएं विकिरण के कारण ही होती हैं।

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