Vyaktigat Vibhinta Par Aadharit Vidhiyan!! नमस्कार दोस्तों Exam Notes Find में आपका हार्दिक स्वागत है आज की इस पोस्ट में हम मनोविज्ञान विषय के अंतर्गत Vyaktigat Vibhinta पर आधारित प्रविधियों से संबंधित सभी पहलुओं पर चर्चा करेंगे तो आइए शुरू करते हैं-

Vyaktigat Vibhinta पर आधारित प्रविधियां
![]() |
Image Source: Pixabay |
1. डाल्टन प्रणाली (Dalton Method)
डाल्टन विधि के जन्मदाता मिस हेलेन पार्क हर्स्ट हैं। इस प्रणाली में बालक को अपनी क्षमता, योग्यता एवं रूचि के अनुसार कार्य करने की पूर्णतया स्वतंत्रता होती है। इस प्रणाली में बालक को समय सारणी में नहीं बांधा जाता है बालक निश्चित समय अंतराल में कार्य को समाप्त करता है। इस प्रणाली में अध्यापक मात्र पथ प्रदर्शक का काम करता है।
2. विनेटिका प्रणाली (Vinetika Method)
विनेटिका विधि के प्रतिपादक डॉक्टर कार्लटन वाशबर्न महोदय हैं। इस योजना में भी बालक को कार्य करने की पूर्व स्वतंत्रता होती है इसमें बालक कहे गए पाठ्यक्रम को छोटे-छोटे भाग में विभाजित करता है छात्र एक इकाई को दूसरी इकाई से जोड़कर पढ़ता है। इस प्रणाली में अध्यापक पथ प्रदर्शक का कार्य करता है।
3. अभिक्रमित अनुदेशन प्रणाली
अभिक्रमित अनुदेशन प्रणाली के जनक बीएफ स्किनर महोदय हैं। यह प्रणाली स्किनर द्वारा प्रतिपादित क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत पर कार्य करती है। यह प्रणाली विनेटिका प्रणाली का ही दूसरा रूप है। जिस प्रकार विनेटिका प्रणाली में हम पूरे पाठ्यक्रम को छोटी छोटी इकाइयों मैं विभाजित कर देते हैं उसी प्रकार अभिक्रमित अनुदेशन प्रणाली में भी पाठ्य सामग्री को छोटे-छोटे खंडों में विभाजित कर दिया जाता है। इस प्रणाली में बालक एक खंड को सफलतापूर्वक सीखने के बाद दूसरे खंड को सीखने में लग जाता है। यदि बालक पहले खंड को सीखने में असफल रहता है तो उसे फीडबैक दिया जाता है यदि बालक पहले खंड को सीखने में सफल रहा है तो उसे अगला खंड सीखने के लिए दिया जाता है।
हमारे अन्य महत्वपूर्ण लेख भी पढ़ें-
- व्यक्तित्व का अर्थ ,परिभाषा तथा सिद्धांत
- अभिप्रेरणा के सिद्धांत, विधियां (Abhiprerna ke siddhant)
- विशिष्ट बालक का अर्थ, परिभाषा एवं प्रकार
4. किंडर गार्टन प्रणाली (Kindergarten Method)
किंडरगार्टन विधि के प्रतिपादक फ्रोबेल हैं। फ्रोबेल का जन्म 21 अप्रैल 1782 ईस्वी में जर्मनी में हुआ था। इस प्रणाली को बालवाड़ी प्रणाली भी कहते हैं। किंडर गार्डन एक जर्मन शब्द है जिसका अर्थ होता है बच्चों का बगीचा अर्थात फ्रोबेल महोदय अध्यापक को एक माली की संज्ञा देते हैं तथा छात्र को अविकसित पौधा मानते हैं, अध्यापक रूपी माली के देखरेख में एक अविकसित पौधा अर्थात छात्र अपना पूर्ण विकास करता है। इस प्रणाली में बालक को पुस्तकों से नहीं बल्कि खेल के माध्यम से सिखाया जाता है जैसे मातृ खेल, शिशु गीत, श्रवण क्रियाएं ,दृष्टि पूर्ण क्रियाएं ,कहानी ,कथाएं इत्यादि। फ्रोबेल उपहारों द्वारा बालकों को शिक्षा देने की बात भी करते हैं।
5. मांटेसरी प्रणाली (Montessori Method of teaching)
मांटेसरी विधि के प्रतिपादक श्रीमती मारिया मांटेसरी हैं। इनका जन्म 1870 ईसवी में इटली में हुआ था। मांटेसरी ने अपने विद्यालयों के लिए कोई पाठ्यक्रम निर्धारित नहीं किया किंतु अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से मांटेसरी शिक्षण विधि को तीन भागों में विभाजित करके अध्ययन किया जाता है जिसका वर्णन इस प्रकार है-
(A) कर्मेंद्रियों द्वारा शिक्षा
मांटेसरी विद्यालयों में 3 से 7 वर्ष तक के छात्र पढ़ते हैं। उनको सबसे पहले कर्मेंद्रियों की शिक्षा दी जाती है। इसके लिए गतिशीलता का ध्यान रखा जाता है। विद्यालय के छात्र स्वावलंबी होते हैं वे अपना कार्य स्वयं करते हैं। छात्रों को अपना शरीर साफ रखना, कपड़े साफ रखना, कपड़े बदलना, भोजन पकाना तथा परोसना सिखाया जाता है। ऐसे काम करने से छात्र प्रसन्नता का अनुभव करते हैं तथा उनको अपनी कर्मेंद्रियों को भी प्रशिक्षित करने का अवसर मिल जाता है।
(B) ज्ञानेंद्रियों की शिक्षा
ज्ञानेंद्रियों की शिक्षा उपकरणों के माध्यम से दी जाती है। मांटेसरी का विश्वास था कि एक समय में केवल एक ज्ञानेंद्रिय का प्रयोग किया जाए। इसी कारण अपनी पद्धति में मांटेसरी ने जो उपकरण बनाएं एक समय में केवल एक ज्ञानेंद्रिय को प्रभावित करते हैं। उन्होंने स्वाद, श्रवण, स्पर्श तथा सूंघने से संबंधित इंद्रिय निग्रह प्रशिक्षण की व्यवस्था किया।
(C) पढ़ने लिखने की शिक्षा
मांटेसरी के अनुसार पढ़ने की अपेक्षा लिखना सरल होता है। ज्ञानेंद्रियों के अनेक अभ्यास करने के पश्चात पढ़ना, लिखना और अंकगणित सरलता से आ जाता है। इस पद्धति में पहले लिखना सिखाया जाता है उसके पश्चात पढ़ना। मांटेसरी के अनुसार पढ़ने के लिए उच्चारण आवश्यक होता है और यह केवल पर्याप्त बौद्धिक विकास के पश्चात ही संभव हो सकता है। किंतु लिखने में केवल अनुकरण की आवश्यकता होती है।
6. बेसिक शिक्षा प्रणाली (Basic Education Method)
इस प्रणाली के जन्मदाता महात्मा गांधी जी हैं। इसके अंतर्गत निशुल्क शिक्षा तथा हस्तकला पर आधारित शिक्षा की व्यवस्था की जाती है। अर्थात मुख्य विषय के रूप में हस्तशिल्प कला तथा इसी विषय को आधार बनाते हुए अन्य विषयों का ज्ञान कराया जाता है। बेसिक शिक्षा प्रणाली में शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होती है इस प्रणाली को बुनियादी शिक्षा तथा वर्धा शिक्षा प्रणाली भी कहते हैं। बेसिक शिक्षा योजना के पाठ्यक्रम में गांधी जी ने निम्नलिखित हस्त कौशल के कार्यों का निर्धारण किया-
1. क्राफ्ट के लिए- क्राफ्ट के लिए गांधी जी ने अपने शिक्षा प्रणाली में निम्नलिखित कौशलों को शामिल किया-
(A) धातु का काम
(B) कताई बुनाई
(C) लकड़ी का काम
(D) गत्ते का काम
(E) मिट्टी का काम
2. गांधी जी ने व्यवहारिक समस्याओं के समाधान के लिए व्यावहारिक गणित, रेखा गणित एवं वाणिज्य विषय को पाठ्यक्रम में स्थान दिया।
3. बालकों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए गांधी जी ने स्वास्थ्य विज्ञान को भी पाठ्यक्रम में स्थान दिया।
4. गांधी जी ने सामान्य विज्ञान को भी पाठ्यक्रम में जोड़ा इसके अंतर्गत जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, शरीर विज्ञान ,प्रकृति विज्ञान, नक्षत्र विज्ञान तथा भौतिक विज्ञान विषयों को शामिल किया गया। बालिकाओं के लिए हस्तकला विषयों के स्थान पर गृह विज्ञान को शिक्षण हेतु उपयुक्त समझा गया।
7.अन्वेषण प्रणाली (Heuristic Method of teaching)
अन्वेषण प्रणाली के प्रवर्तक HE आर्म्सट्रांग महोदय है। इस विधि को खोज विधि भी कहते हैं। अन्वेषण को Heuristic कहते हैं। Heuristic लैटिन भाषा के शब्द ह्यूरिस्टिको से बना है जिसका अर्थ है मैं खोज करता हूं। अर्थात अध्यापक, छात्र के सामने समस्याएं प्रस्तुत करता है तथा छात्र उस समस्या का स्वयं समाधान खोजता है इसलिए इस प्रणाली को खोज विधि भी कहते हैं। यह प्रणाली करके सीखो सिद्धांत पर आधारित है अन्वेषण प्रणाली का प्रयोग विज्ञान विषय को सिखाने के लिए किया जाता है।
8. डेक्रोली प्रणाली (Decroly Method)
डेक्रोली प्रणाली के प्रवर्तक डॉ Ovide decroly हैं। ये बेल्जियम में प्रोफेसर के पद पर थे। इस प्रणाली के अनुसार छात्र को उसकी योग्यता एवं रुचि के अनुसार विभक्त कर लेना चाहिए तथा फिर उसी प्रकार उनकी शिक्षा की व्यवस्था किया जाना चाहिए।
9. प्रोजेक्ट प्रणाली (Project Method)
प्रोजेक्ट प्रणाली के प्रवर्तक जॉन डीवी के शिष्य किलपैट्रिक महोदय हैं। यह अमेरिका के रहने वाले थे। इसलिए इस प्रणाली का जन्म अमेरिका में माना जाता है इस प्रणाली में छात्र अपने रुचि से योजना का चयन करता है इस प्रणाली में करके सीखने के सिद्धांत पर अधिक जोर दिया जाता है। प्रोजेक्ट के माध्यम से विभिन्न विषयों जैसे इतिहास भूगोल हस्तकला भाषा भ्रमण अंकगणित आदि की शिक्षा प्रदान की जाती है।
अधिक जानकारी के लिए Ctetnotes.com वेबसाइट पर विजिट करें।
आशा है आप लोगों को यह पोस्ट”व्यक्तिगत विभिन्नताओं पर आधारित प्रविधियां” अवश्य पसंद आई होगी। अगर हमारा यह छोटा सा प्रयास अच्छा लगा हो तो आपसे विनम्र निवेदन है कि इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें जिससे हमें मनोबल प्राप्त होगा और हम आपके लिए ऐसे ही ज्ञानवर्धक पोस्ट लाते रहेंगे। अगर आपके मन में कोई सुझाव या शिकायत है तो आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं। अपना बहुमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद।
आपकी ?Website बहुत अच्छी है। में ने आपकी Website को bookmark करके रखा है। आपके ?article भी काफी Useful है। Thanks for sharing very useful knowledge?
Thanks?